ज़िंदगी के हाइवे पर चलते चलते,
कभी कभी पगडंडियों पर कुछ किताबें कुछ पन्ने बिखरे मिलते रहते है..
इस जगह उन्हें समेटने की कोशिश कर रहा हूँ ....
देव :एक फ़क़ीर...!
चलो दिल को छूलें...
मंगलवार, 13 सितंबर 2011
निशान
आज दोनों बिना हाथ थामे, किनारे की रेत पर कदमों के निशान बनाते हुए, खामोश चल रहे थे...
रुक कर पीछे मुडी और कहा " देखो लहरों ने हमारे क़दमों के निशान मिटा दिए..
अगले महीने मेरी शादी है....तुम आना ज़रूर.."
आपकी रचनाए दिलको छूलेने वाली हें,आप इसी तरह लिखते रहिए.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया @Amber
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