आज दोनों बिना हाथ थामे, किनारे की रेत पर कदमों के निशान बनाते हुए, खामोश चल रहे थे...
रुक कर पीछे मुडी और कहा " देखो लहरों ने हमारे क़दमों के निशान मिटा दिए..
अगले महीने मेरी शादी है....तुम आना ज़रूर.."
ज़िंदगी के हाइवे पर चलते चलते, कभी कभी पगडंडियों पर कुछ किताबें कुछ पन्ने बिखरे मिलते रहते है.. इस जगह उन्हें समेटने की कोशिश कर रहा हूँ ....